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कल यूट्यूब पर एक पाकिस्तानी लड़के तथा साथ में अफगानिस्तान के इतिहासकार कि कंधार यात्रा देख रहा था।
गजनी शहर गये, जँहा मुहम्मद गजनी का कभी महल था।
वह महल ऐसा था कि एक पक्के ईंट कि भी दीवार न थी।
मिट्टी के मकान जो लगभग ढह चुके थे। उस समय भारत में कोई दरिद्र भी ऐसे घरों में नहीं रह सकता था।
कुछ पक्के ईंटो कि जेल थी।
ऐसा लगता है कि बाद में लगाया गया था।
अफगानिस्तान के इतिहासकार ने बताया कि, उस समय ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान में ऐसे कच्चे मिट्टी के महल थे। जिसमें कुछ जगह पक्की ईंट लगाई गई थी।

भारत आते ही ये सब इतने बड़े आर्टीकेट बन गये।
धन , कारीगर, कलाकृति , नक्शा सब भारत का, बनाये थे मुगल, ताजिक , गजनी।

हमारे यहाँ के वामी इतिहासकार कभी इसकी जहमत नहीं उठाये, मूल स्थानों को देखे क्या है।
खान मार्केट में सुट्टा लगाते, बाये हाथ से कमरे में बैठकर इतिहास लिख दिये।

ये है गजनी के महल है।
हमारे यहाँ उस जमाने मे भैंस भी ऐसे महलों नहीं बांधी जाती होंगी।

कहने वाले तो कह गए की इस महल को जिसने बनाया था उसीआर्टीटेक्ट ने लालकिला भी बनाया है...\ud83d\ude44
साभार

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https://youtube.com/shorts/tDK....Kp_6-JkA?si=yQb-Jj1w

12 w - Youtube

शारीरिक सुखों का भोग, खासकर #कामोपभोग की तुलना कुत्ते द्वारा चबाई गई हड्डी से की गई है।
जैसे कुत्ता हड्डी चूसता है और स्वयं के तालु से रिसते घाव को हड्डी का सत्व समझकर रस लेता है वैसे ही कामोपभोग में रत स्त्रीपुरूष अपने ही क्षीण होते ओज को आनंद समझकर परस्पर केलि करते हैं।
यह तो हो गई साधु महात्माओं की बात।
गृहस्थ जनों के लिए आयुर्वेद में अवस्था विशेष में ऋतु विशेष में भोग को औषध बताया है।
उत्तम वाजीकारक खाद्य, पर्याप्त संतुलित व्यायाम और उत्साह अथवा संघर्ष मय जीवन के लिए उत्तम गृहस्थी हेतु इसे आवश्यक बताया गया है।
दोनों ही, दम्पत्ती की सहमति एवं अनुराग हो तो वह हड्डी भी एक शानदार डिश में बदल जाती है ऐसा आधुनिक समीक्षक भी मानते है।
परन्तु आधुनिक वातावरण की सृष्टि ऐसी हुई है, दृश्य उपकरणों और बाजारू सलाहकारों ने ऐसा चित्रण किया है कि चारों तरफ असंतोष और संत्रास का ही कोलाहल है।
हर व्यक्ति दुःखी। अस्थायी सम्बंध। कृत्रिमता में झूठा सुख तलाशते अर्धविक्षिप्त, असंयमित, सामर्थ्यहीन होते हुए भी बड़े बड़े सामर्थ्य का दावा करने वाले, मृगतृष्णा के पीछे भटकते, श्रमविहीन, कलाविहीन, नकली लोगों से समाज भर गया है।
भारत की बहुत बड़ी जनसंख्या खतरनाक रूप से इसके चंगुल में है जिसके अनेक आयाम है। सन्तति उत्पन्न से भिन्न केवल विषय केंद्रित, भोग केंद्रित और बाह्याचार केंद्रित इस पुरुषार्थ (काम) में इतने छिद्र हो गए है कि भविष्य में इसमें से एक बड़ी खलबली होने वाली है।
जैसे इंटरनेट पर रील देखते समय हम किसी भी एक से संतुष्ट नहीं होते और आगे बढ़ जाते हैं कि सम्भवतः इसके बाद वाली थोड़ी ठीक आये, वैसे ही मनुष्यों ने भोग के ऑब्जेक्ट को समझ लिया है।
मानव चित्त की यह विशेषता है कि एक निश्चित समय तक आप किसी भी चेतन या जड़ के सम्पर्क में रहो, उससे राग हो जाता है। पत्थर, पशु पक्षी, मूर्ति, वृक्ष इत्यादि कुछ भी आपका अपना हो सकता है, बस आपको टाइम देना होता है। पुरानी अरेंज मैरिज में ऐसा ही होता था। कोई प्यार व्यार का झंझट नहीं, कोई गिफ्ट और चैट नहीं। एक छत के नीचे रहते रहते, 9 दिन, एक पक्ष, एक माह अथवा एक वर्ष में ऐसा सहसम्बन्ध बनता था जिसके सामने आधुनिक फिल्मों के बड़े से बड़े उदाहरण फेल है।
"यह मेरा है" #ऐसा_ममत्व_अंततः_अनुरागमें_बदल सकता है।
लेकिन भारतीय गृहस्थी टॉक्सिक होती जा रही है।
आधुनिक शिक्षा, वामपंथी साहित्य और नैरेटिव ने ऐसा खेल रचा है कि हरेक मनुष्य को अपनी चीज में कमियां दिखती है और प्रत्येक वह वस्तु जो अपनी है ही नहीं, उधर आकर्षण बढ़ रहा है।
यह महतमोगुणी और विध्वंसकारी मानसिकता भारतीय परिवार व्यवस्था के लिए नितांत हानिकारक है ही, उत्तरोत्तर प्रभावी होती जा रही है।
जो कर्म, मानव जीवन का सबसे अधिक आनंददायक, ऊर्जादायक, और समस्त कामनाओं का केंद्र था, चारों पुरुषार्थों में जिसे तीसरे स्थान पर रखा गया था, आज बुरी तरह से क्षत विक्षत है।
धर्म की धुरी डगमगाते ही अर्थ, काम और मोक्ष भी दुःसाध्य और कष्टकारी हो जाते है।
संयम और सदाचार ही आपकी रक्षा कर सकता है क्योंकि पश्चिम जैसा खुलापन आपके बस की बात नहीं।
#कुमारsचरित
कुमार एस

कोई मुस्लिम भाई मुझे इस बारे में स्पष्टीकरण देगा \u2753

कुरान आपको सिर्फ मारने का नही बल्कि तड़पा तड़पाकर मारने का आदेश देती है!,

क़ुरान के सूरा नंबर 9 - आयत नंबर 5 में साफ आदेश दिया गया है।

स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को 12 घंटे से ज्यादा समय तक टॉर्चर करके मारा गया !

कैप्टन सौरभ कालिया के साथ हुई नृशंसता को लिखने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं !

पृथ्वीराज चौहान को अंधा करके मारा गया !

गुरु अर्जुनदेव जी को गर्म तवे पर बैठाने के बाद उनपर खौलती हुई रेत डालकर मारा गया !

गुरु तेगबहादुर जी की नृशंस हत्या कैसे की गई बताने की जरूरत नहीं !

भाई मतिदास जी को लकड़ी के दो पाटों में बांधकर ऊपर से नीचे आरी से चीरा गया !

भाई सतीदास को बड़े कड़ाह में खौलते तेल में डुबाकर मारा !

भाई दयाला जी को रुई में लपेटकर जलाया !

गुरु गोविंद जी के दो मासूम साहिबजादों को जिंदा ही दीवार में चुनवा दिया गया !

बाबा बंदा बहादुर को उनकी खाल नोंचते हुए पंजाब से दिल्ली लाने के बाद मारा गया, उनके मुँह में उनके ही बच्चे का दिल ठूँस दिया गया !

जिस सोच ने सैंकड़ों साल तक ऐसी नृशंसता की उसी सोच ने 1990 में कश्मीर के सैंकड़ों हिन्दुओ के सिर में रॉड ठोककर मारा !

उस सोच ने अभी फरवरी 2020 में अंकित शर्मा को 2 घंटे से ज्यादा समय तक चाकू के 400 वार करके मारा !

लेकिन फिर भी अगर आपको ऐसा लगता है कि मेरे जैसे लोग नफरत फैला रहे हैं और मोदी जी के आने के बाद हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा खत्म हो गया है तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकते !

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*आप सभी को दीपोत्सव पर्व की अनंत हार्दिक शुभकामनायें-*

*1 दीपावली=* देवी लक्ष्मी आप पर इतनी प्रसन्न हो कि आप के घर को धन धान्य से परिपूर्ण कर आप के पास ही स्थाई वास करे-
*2 गोवर्धन=* आप के सम्पूर्ण खेत-खलिहान, यानी आय के स्त्रोत इतने फलें-फूलें कि आपकी अनन्त पीढ़ियों तक किसी भी वस्तु का अभाव न हो'
*3 भैया दूज=* भाई बहन में अटूट प्रेम दे,बहन कभी अपने आप को असहज महसूस न करे और बहन द्वारा भाई के माथे पर लगाया गया तिलक स्वर्णिम पुष्प की तरह हमेशा महकता रहे-

*यह दीपोत्सव पर्व आप सभी को उत्तम स्वास्थ्य,सुख-समृद्धि, आत्मसंतोष, शांति, स्फूर्ति और ऊर्जा दायक हो ‌सभी का कल्याण हो ऐसी. मंगलकामना है 🙏🏻🪔🪔

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#united_hindus_kulasya

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13 w - Youtube

#धनतेरस_की_हार्दिक_शुभकामनाएं
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खूब दिए 🪔 जलाओ। खूब पटाखे उड़ाओ। बहुत बहुत अच्छा अच्छा नमकीन और मीठा खाओ।

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