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कुंभ में आना चाहते तो शाही स्नान के दिन व इसके आगे पीछे वाले दिन आने से बचो। इस दिन भयंकर भीड़ होती है। पैदल चलते-चलते हालत खराब हो जाएगी। बाकी दिन आएंगे तो सुकून रहेगा। 2 किलोमीटर ही पैदल चलना होगा। इस दो किलोमीटर में मेला, मजा और सुकून होगा।

भंडारे की कोई कमी नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि तीर्थों पर दान का पुण्य है इसलिए आप खाने से ज्यादा खिलाने पर फोकस करें। रहने को लेकर बहुत दिक्कत नहीं है। मेले में रहने के बजाय शहर में रहें। जॉनसेनगंज, अलोपीबाग, कटरा, दारागंज, एरिया में होटल ले लें। सिविल लाइंस में थोड़ा सा महंगा है। क्वॉलिटी वाली बात है।

संगम आए तो बहुत जल्दी न दिखाएं। घाट पर स्नान करें, सुकून से बैठे। फिर पीपा पुल पार करके अखाड़े की तरफ चले जाइए। सेक्टर 20 बगल ही है। खूब सारे बाबा, सन्यासी मिलेंगे। इनसे बात करिए। बहुत सारे ऐसे हैं जो बहुत पढ़े-लिखे हैं, बहुत ज्ञान की बात करते हैं।

इसके बाद रात की लाइट-वगैरह देखिए। सेक्टर एक यानी परेड ग्राउंड में गंगा पंडाल है। हर दिन बड़े-बड़े सेलीब्रिटी आते हैं, बड़ा पंडाल है तो सुकून से सीट पर बैठकर सुनिए। महसूस करिए। यहां भी सुकून मिलेगा। अकबर के किले में चले जाइए। अक्षय वट दिखेगा। पुराने समय की कलाकारी दिखेगी।

मेले में बहुत खाने-पीने की मत सोचिए। क्वॉलिटी अच्छी नहीं मिलेगी। चना-मूंगफली-लइया भुंजवा लीजिए। यही खाइए। जगह-जगह वाटर एटीएम है, 1 रुपए डालकर पानी ले लीजिए। बढ़िया पीजिए।

#kumbhmela2025

साभार....
भारतीय जनता पार्टी ने कम से कम एक दर्जन बार श्रद्धेय #वीर_सावरकर को #भारत_रत्न देने का वायदा किया है...2019 के असेम्बली चुनाव में तो पूरे चुनाव में यही मुद्दा लेकर भाजपा नेता महाराष्ट्र भ्रमण करते रहे !ऐसे लोगों को भारत रत्न और पद्मविभूषण दिए गए जिसे देखकर भाजपा और आरएसएस कैडर तक ने अपना माथा पीट लिया... मगर PM साहेब डिगे नहीं !!
एक विश्वस्तरीय क्रांतिकारी, महान विचारक- चिंतक- लेखक...काले पानी की सज़ा काटने वाले,करोड़ों लोगों के श्रद्धा के केंद्र,वीर दामोदर सावरकर को भारतरत्न पुरुस्कार देने में दस बार वायदा करने के वाबजूद... श्रद्धेय सावरकर जी को मरणोपरांत भारतरत्न क्यों नहीं जा रहा ?
आप दिल्ली के एक छुटकू से कालेज का नामकरण वीर सावरकर के नाम पर करके...लोगों को संतुष्ट करने की चेष्टा में हैं...लेकिन एक विश्वस्तरीय क्रांतिकारी को भारतरत्न देने में आपकी दिलचस्पी इसलिए नहीं है,क्योकि उनका नाम मोहनदास गांधी के वधकाण्ड में घसीटा गया था !चूंकि कथित सेकुलर मानसिकता वालों को वीर सावरकर से समस्या हैं... इसलिए दस वर्ष तक सत्ता में रहने के वाबजूद श्रद्धेय सावरकर को भारतरत्न नहीं दिया गया है...
26 जनवरी की पूर्वसंध्या पर, आशा है,स्व मनमोहन सिंह को मरणोपरांत भारतरत्न देने की घोषणा होना संभव है !जिस देश मे अपराधियों से लेकर जीवित अभिनेताओं तक के नाम पर स्कूल कालेजों के नाम रखे जाते हैं.... वहां एक कॉलेज का नाम श्रद्धेय वीर सावरकर के नाम पर रखकर...एक देशभक्त प्रचण्ड क्रांतिकारी का अपमान ही हुआ है...सावरकर जी का दोष बस इतना है कि वह हिन्दूत्व के विचार को धरातल पर उतारने के लिए जाने जाते हैं....

जयहिंदुराष्ट्र !!
अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश,9451221253

#copypaste

Prajith S changed his profile picture
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Mannu singh singh changed his profile picture
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इंसान ने जिस भी सुंदर और अनोखी चीज को देखा,उसने चाहा कि वो उसकी हो जाए.उसने जंगल में दौड़ते घोड़े देखे तो उन्हें पकड़ लिया,उनके नाक में रस्सी डाल के उन्हें गुलाम बना लिया,उसने जंगल में भेड़ियों से लड़ते कुत्ते देखे तो भेड़ियों से अपनी रक्षा के लिए कुत्ता पाल लिया.उसने सुंदर तितलियां देखीं,रंग बिरंगे पक्षी देखे,पानी में तैरता कछुआ देखा,पेड़ देखे,मिट्टी देखी,धरती में गड़ा सोना देखा और उसने हर चीज को अपने लिए उपयोगी बना लिया.प्रकृति ने जो कुछ भी जीवन और उसके संतुलन के लिए बनाया इंसान ने उसे खुद का विरासत समझा और उसपर कब्जा कर लिया.हर वो चीज जो स्वतंत्र होनी चाहिए थी,इंसान की हो गई.इसका दीर्घकालिक असर हुआ,इंसान ये भूल गए कि उन्हें सिर्फ सर्वाइव नहीं करना था,उन्हें इंवॉल्व होना था,विकसित होना था.दो पैर,दो हाथ लिए धरती पर जन्मा इंसान लाखों सालों से वैसा ही रह गया,इसके विपरीत कुछ जानवर,पेड़ पौधे इंवॉल्व होते गए,खुद को आने वाले समय के हिसाब से बदलते गए.नतीजा ये कि कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा,कोई बड़ा पारिस्थितिकीय बदलाव इंसान सह नहीं सकता.वो पानी में नहीं रह सकता,हवा में नहीं उड़ सकता,बिना खाए पिए ज्यादा दिन जिंदा नहीं सकता.इंसान एक मात्र ऐसी प्रजाति है जो वक्त के साथ और कमजोर होती गई है,कारण सिर्फ दो अतिनिर्भरता और सर्वाइवल स्किल की कमी.हमें अब भी सीखना चाहिए,सम्हलना चाहिए वर्ना ये प्रजाति प्रकृति के किसी काम नहीं रहेगी और उसके द्वारा ही मिटा दी जाएगी.....!!

स्कन्द पाण्डेय

आदरणीय Skand Pandey जी के पटल से साभार #copy-paste

#copy-paste

अमरीका में 21 दिन से काउंटिंग चल रही है।

वोट ज्यादा नही हैं।

कहीं कहीं तो 3 लाख वोट ही हैं।

लेकिन गिनती हो रही है बैलेट से।

तो हो ये रहा है कि गिनती शुरू हुई।
फिर जैसे देखा कि इस बैलेट में मोहर ठीक से नही है तो उसे साइड कर दिया। फिर देखा कि ऐसा करते करते करते 3 लाख गिनती पूरी हो गयी लेकिन जीत तो रिपब्लिकन गया।

तो फिर से गिनती हो रही।
अब फिर देखा जा रहा कि जिन बैलेट को साइड किया उनमे से कितने वैलिड माने जा सकते हैं।

फिर जितने माने गए, उन्हें भी गिनती में शामिल कर दिया।
लेकिन इसके बाद भी रिपब्लिकन जीत गया।

तो फिर गिनती हो रही कि जिस जिस को वापिस वैलिड मान लिया गया था, उसमें से किन्हें वापिस इनवैलिड मानना है या जिन्हें अभी तक नही माना था क्या उनमे तो कुछ ऐसे नही जो पहले वैलिड मान लिए गए थे लेकिन इनवैलिड माने जाने चाहिए।

इस तरह 21 दिन से गिनती चल रही है।

और एक जगह इस तरह आखिरकार 21 वोट इनवैलिड मान लिए गए और फाइनली 14 वोट से डेमोक्रेट्स जीत गया।

यही 2020 में चल रहा था जब मार्जन 51-49 का था। तब भी ट्रम्प जीत रहा था लेकिन इसे अपने पक्ष में 51-49 कर दिया।
लेकिन इस बार ट्रम्प के पक्ष में 60-40 हो रखा था तो कितना घपला कर पाते। तो जहां जहां अब इस तरह से कुछ सीटें हाउस में बढ़ा सकते हैं तो उसपर काम चल रहा है।

लेकिन इससे हमें क्या करना?

तो हमें इससे ये करना है कि इधर भी कुछ को EVM नही चाहिए।
उन्हें बैलेट चाहिए। उन्हें भी रिगिंग करनी है। फिर वो बूथ कैप्चरिंग से हो या इस तरह वैलिड-इनवैलिड खेलकर, उन्हें भी अपनी सत्ता चाहिए।
ज्यादा होगा तो बक्शा ही जला देंगे या उसमें स्याही डाल देंगे या आग लगा देंगे जो EVM में नही हो पाता।
क्योंकि इतना तो पता रहता ही है कि कौन सा बूथ किसका स्ट्रांग होल्ड है।

इसी वजह से तो इनका सबसे बड़ा बहाना है कि अमरीका तो इतना एडवांस है और वहां EVM से चुनाव नही होता।
हालांकि ये झूठ है क्योंकि कुछ राज्य में होता है लेकिन वो EVM हमारी जैसी नही होती बल्कि सॉफ्टवेयर वाली होती हैं जिन्हें हैक किया जा सकता है, जिसपर ही मस्क कहता है कि इन्हें बैन करो।
आपको EVM ऐसी नही है इसलिए आज तक कोई मम्मा का सन, उसे हैक न कर पाया और न उस चेलेंज में प्रतिभाग किया जब EC ने कहा था कि आओ और इसे हैक करकर दिखाओ।

इसलिए फर्जी आरोपो से विश्वसनीयता पर सवाल उठा सरकार विरोधी माहौल बनाया जा रहा है क्योंकि ये भी एक सफल फार्मूला है।

ऐसा ही माहौल हसीना के खिलाफ बना था कि वो धांधली कर चुंत्व जीतती है और फिर अगले स्टेप में कहा गया कि चुनाव का बहिष्कार।
लेकिन फिर भी उसकी ही सरकार बनी तो दूसरी तरफ तानाशाही का आरोप उसपर लगता गया।
बाद में कोर्ट के आदेश का बहाना बनाकर कथित छात्र आंदोलन हुआ जो अमरीका ने रचा था और फिर क्या हुआ और आज भी क्या हो रहा है, आप देख रहे हैं।

इसलिए ये आपका काम है कि यदि कोई आपके सामने कहे कि भाजपा EVM से जीत रही है तो उसे पूछो कि तुझे किसने बताया?
और साथ ही उसे बताओ कि इस तरह कुछ नही होता।
कुछ बातें समझाने हेतु मैने लिखी हैं, कुछ आप भी जानते हैं तो सबका दायित्व है कि जनता के मन मे किसी भी तरह से ये बात घर नही करनी चाहिए, वरना केरोसीन-माचिस वाले घूम ही रहे हैं।

और ये बात न कह देना कि सरकार ऐसे नेताओं को अंदर डाल दे क्योंकि ये उल्टा भी पड़ जाता है कि देखो जो कह रहा था कि चुनाव में धांधली होती है, उसका ही मुंह बंद करा दिया गया।
इसलिए इसकी हम सबको ही काट करनी है और हम वो गलती नही कर सकते जो अवामी लीग के समर्थकों ने करी कि इसे हंसी में उड़ा दिया या दूसरे को बस ट्रोल करते रहे गए।
विशाल

सोशल मीडिया बच्चों को भारतीय संस्कृति और संस्कारों से दूर ले जा रहे हैं।
जब विदेशी ऐसा कर सकते हैं तो हमारे देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?

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अडानी के बहाने।

केन्या का राष्ट्रपति चीन जाता है और फिर आकर कहता है कि मैं वहां से आपके(केन्या) लिए गिफ्ट लाया हूँ।इधर अडानी पर हमला होता है। केन्या का राष्ट्रपति बहाना बनाता है और अडानी की 700 मिलीयन की पावर डील कैंसल कर देता है। साथ ही 1.8 बिलियन की एयरपोर्ट डील भी।दोनों में अडानी के कॉम्पटीशन में चीन की कम्पनियां थी।

अब मजे की बात ये है कि जो काम अडानी भारत के लिए करता है वही काम चीनी कम्पनियां CCP के लिए करती हैं। अर्थात विदेशों में पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स, माइंस आदि लेना।

अब उधर अमरीका में कबाल अडानी पर हमला कर रहा है जिसका उद्देश्य अडानी को इंटरनेशन मार्केट से पैसे जुटाने में रोकना है।फायदा चीन का हो रहा।
नाच यहां मुस्लिम लीग रही जो अदृश्य राज्य की भी रखैल है और चीन की भी।इस तरह दो सबसे बड़े भारत के दुश्मन अडानी पर हमलावर हैं और हम यदि यहां इन भरवों को गद्दार कह दें तो हम अडानी को बचा रहे हैं।

10 साल पहले नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस दर्ज होते थे। अमूमन फेबियन या कांग्रेसी भ्रष्ट होते ही है तो दुनिया भर में उनके कांड खुलते थे, खूब हल्ला होता था। लोगों के सामने उनके पोल खुला करते थे। पिछले 10 साल से कुछ इस तरह का भ्रष्टाचारी होते ही नहीं। भाजपा सरकार के खिलाफ मिल नहीं रहा है,मोदी के खिलाफ ऐसा कुछ मिल नहीं रहा है तो अब भारतीय उद्योगपतियों के खिलाफ हमला होता है। अडानी पर हमला इसलिए होता है कि डायरेक्ट हमला आप मोदी पर नही कर सकते। कौन यकीन करेगा कि मोदी को पैसा बनाना है?

सटीक अटैक है कि भारत के उभरते बिजनेस मैन पर हमला करो जिसे विदेशी एजेंसियां ही मान रही कि मस्क के बाद वो दूसरा बिजनेस मैन बनेगा जो ट्रिलियन डॉलर का मालिक होगा, अर्थात ट्रिलिनीयर बनेगा।

अडानी ने ग्रीन ऊर्जा में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 10 बिलियन तो अमरीका में निवेश करने का प्लान है।ऐसे में उसको वहां आरोपी बना दो ताकि ट्रम्प उसके साथ बिजनेस न कर पाए। तो फायदा किसका हो रहा है?

जाहिर है जो बड़े प्लेयर अडानी को रिप्लेस कर सकते हैं, और वो चाइनीज हैं।बाकियों की बसकी बात भी नही।
खेल क्या खेला गया?इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिले हैं।
तो क्या व्हाट्सएप चैट थी? ईमेल थे? फोन रिकॉर्डिंग थी?
वही खेल कि कहो कि आपका मेसेज इनक्रिप्टेड है और चुपचाप उसे स्टोर कर लो।(जिस वजह से व्हाट्सएप पर 5 साल का बैन लगा है)

इधर मदरनंदन कब से कह रहा कि भारतीय बाजार में निवेश मत करो। दिक्कत ये नही कि आप नही करते, आप तो 5% भी नही हैं।दिक्कत है SBI, LIC जैसी फर्म्स हैं वो आपका पैसा भारतीय बाजार में लगाती हैं।इसी वजह से तो यदि शेयर मार्केट को दिक्कत हुई तो आपकी फर्म्स को दिक्कत होगी जिसमें अंततः आपको दिक्कत होगी जो फिर सड़क पर उपद्रव में बदलेगी।

इसे ऐसे भी समझो कि जिस देश ने समुद्र पर राज किया वही दुनिया पर राज करता है।एक समय ब्रिटेन की नेवी ऐसी थी तो उसका राज था। फिर अमेरिका की हो गयी तो उसका राज है और अब चीन वो कोशिश कर रहा है।
और हर देश को सिर्फ जहाज नही चाहिए समुद्र में मंडराने के लिए बल्कि वो जहाज कहीं डॉक भी तो करने चाहिए तो उसके लिए चाहिए होता है बंदरगाह।आज जो बंदरगाह व्यापार के लिए है, कल वो युद्ध के काम भी आता है।एक अदना रनवे तक बड़े मिलिट्री कार्गो प्लेन या फाइटर प्लेन को लैंड करने के काम आता है और अडानी यही तो कर रहा है।

आज उसके पास करीब दुनिया भर में 30+ पोर्ट्स हैं(भारत सहित), लेकिन वो भारत के लिए(अपने व्यापार के लिए भी) आगे भी कोशिश में लगा है कि ज्यादा से ज्यादा पोर्ट, एयरपोर्ट हथिया दूं तो दिक्कत किन्हें हो रही, आप देख रहे हैं।वो माइंस जैसी जगह जाता है जहां पहले से ही अमरीका घुसा है या चीन घुस रहा है क्योंकि ऐसा निवेश 50-100 साल के लिए हो जाता है तो वहां की सरकार के साथ आपकी बॉन्डिंग बन जाती है फिर चाहे कोई भी सरकार आती रहे जिससे आप वहां अपना इंफ्लुएंस बरकरार रख सको।

एनर्जी कल भी फ्यूचर था और आज भी है।तब तेल वाले देश दुनिया चला रहे थे, आगे ग्रीन एनर्जी वाले चलाएंगे तो वो वहां भी कोशिश में लगा है।तो सोचो किसे दिक्कत आ रही होगी?

एशिया में जिसे हमसे दिक्कत है वो है चीन और पश्चिम में जिसे हमसे दिक्कत है वो है अमरीका। दिक्कत का कारण ये है कि हम इनकी शर्तों पर व्यापार नही करते। इनके कहने पर नीतियां नही बनाते और न बदलते।
अमरीका ने चीन को खड़ा किया लेकिन भारत अपने दम पर खड़ा हो रहा है।

यहीं पर दिक्कत है क्योंकि जब आप किसी और के भरोसे ऊपर उठते हो तो उसके अनुसार काम करते हो।
और यदि आप अपने को ध्यान में रखकर ऊपर उठना चाहते हो तो आप वो फैसले लेते हो जो आपके फायदे में हों।

इसी से अमरीका और चीन को दिक्कत है कि वो भारत को डिक्टेट नही कर पाते।इसी वजह से दोनों भारत पर एक साथ हमलावर होते हैं भले ही आपस में दुश्मन हों क्योंकि भारत यदि ऐसे ही बढ़ता रहा तो बिना इनकी बदौलत, इनसे बहुत आगे निकल जायेगा जो अंततः दुनिया को अपनी ओर खींच लेगा बिना कोई दमन किये या कर्ज के बोझ तले किसी देश को डालकर।

इसलिए जब अमरीका भारत पर हमला करता है तो चीन फायदा उठाने की कोशिश करता है।जब चीन भारत पर हमला करता है तो अमरीका फायदा उठाने की कोशिश करता है।दोनों को लगता है कि हमारी लड़ाई में तीसरा कहाँ से उभर रहा।हम दोनों ही दुनिया पर राज करेंगे।
वरना चीन की कितनी कम्पनियां अमरीका में बेमानी करती हैं, उनपर कितने केस हुए?

अमेरिकन दुनिया भर में केस करते हैं, दुनिया भर की अदालतों में करवाते हैं, अपने विरोधियों के खिलाफ अमेरिका वामपंथी जजों की अदालत में करते हैं। उनकी पुलिस/एफबीआई और स्थानीय पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज करती है, फिर मीडिया से भी दुनिया भर में प्रचार करके वहां की सरकारों को आई अस्थिर करते हैं। कभी सोचा आज तक उनपर कितने केस हुए?

जबकि यह प्रमाणित सत्य है कि दुनिया का 90% भ्रष्टाचार अदृश्यराज और अमेरिकन कंपनियां तथा अमेरिकन नागरिक करते हैं। केस छोड़ो, मीडिया ने ही कितना हल्ला किया जो इनके बिजनेस प्रभावित हुए?

इसी वजह से भारत को जो करना या लड़ना है वो अपने दम पर ही करना/लड़ना है।एक फ्रंट में अमरीका है और दूसरे फ्रंट में चीन। आधे फ्रंट में दोनों का पालतू पिल्ला उर्फ मुस्लिम लीग है।असली ढाई फ्रंट ये है भारत का।
बाकी सब तो इनके(ढाई फ्रंट के) पिल्ले हैं जो इनके कहने पर काटने की कोशिश करते हैं।

साभार प्राप्त

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साभार.....
स्वरा भास्कर की बुझी हुईं शकल सूरत पर तंज करके,उसकी बुर्के में ढंकी तस्वीरें दिखा कर आप सोचते होंगे कि आप नई जेनरेशन की लड़कियों को इस्लाम की वीभत्स सच्चाई,इसके क्रूर परिणाम दिखा लेंगे... उन्हें उधर जाने से रोक लेंगे...
लेकिन शायद आप एक इंडॉक्ट्रिनेटेटिड माइंड की अवस्था को नहीं समझ रहे. वामपंथ की जकड़ में बंधे मस्तिष्क के कनेक्शंस को नहीं पढ़ पा रहे.

इन तस्वीरों में स्वरा एक विक्टिम दिखाई देती है..पर यह विक्टिमहुड उसने खुद चुना है.वह इसको दुनिया के सामने दिखा रही है,उसकी प्रदर्शनी कर रही है. और एक भी वामी फेमिनिस्ट लड़की इसके लिए उसके चॉइसेस को दोष नहीं देगी.बल्कि वह और आकर्षित होगी कि जरूर इस्लाम में कोई खास बात होगी.. स्वरा को इस गुलामी से,इस नरक से कुछ तो मिला होगा कि उसने हंसती खेलती आजादी को छोड़कर इसको खुद चुना.

स्वतंत्रता एक सुंदरतम अवस्था है.. लेकिन हर किसी को इसका वही मूल्य नहीं दिखाई देता. मनुष्य की सारी उपलब्धियां,सभ्यता की सारी प्रगति मानव स्वतंत्रता की देन है. लेकिन यह एसोसिएशन सबको स्वतः दिखाई नहीं देता. सबसे पहले,सबसे आसानी से हम अपनी इस सबसे बड़ी सम्पदा को सरेंडर करने को तैयार हो जाते हैं.और जो पहले से ही वामपंथी है,जिसने एक बार अपनी स्वतंत्रता को सरेंडर कर दिया उसे एक जेल से निकल कर दूसरी जेल में जाने में क्या समस्या हो सकती है?

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