पीपल पेड़ के स्वास्थ्यलाभ
यह पेड़ केवल भारतीय उपमहद्वीप में पाया जाता है। भारतीय इस पेड़ का धार्मिक महत्व तो है साथ ही आयुर्वेद में इसका खास महत्व है। कई बीमारियों का उपचार इस पेड़ से हो जाता है। गोनोरिया, डायरिया, पेचिश, नसों का दर्द, नसों में सूजन के साथ झुर्रियों की समस्या से निजात पाने के लिए इस पेड़ का प्रयोग कीजिए। एंटीऑक्सीडेंट युक्त यह पेड़ हमारे लिए बहुत फायदेमंद है।
झुर्रियों से बचाव
पीपल की जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। इसके इसी गुण के कारण यह वृद्धावस्था की तरफ ले जाने वाले कारकों को दूर भगाता है। इसके ताजी जड़ों के सिरों को काटकर पानी में भिगोकर पीस लीजिए, इसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से झुर्रियां से झुटकारा मिलता है।
दातों के लिए
पीपल की 10 ग्राम छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर पाउडर बना लीजिए, नियमित रूप से इसका मंजन करने से दांतों का हिलना, दांतों में सड़न, बदबू आदि की समस्या नहीं होती है और यह मसूड़ों की सड़न को भी रोकता है।
दमा में फायदेमंद
पीपल की छाल के अन्दर का भाग निकालकर इसे सुखा लीजिए, और इसे महीन पीसकर इसका चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को दमा रोगी को देने से दमा में आराम मिलता है।
दाद-खाज खुजली में फायदेमंद
पीपल के 4-5 कोमल, नरम पत्ते खूब चबा-चबाकर खाने से, इसकी छाल का काढ़ा बनाकर आधा कप मात्रा में पीने से दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोगों में आराम होता है।
एडि़यों के लिए
पैरों की फटी पड़ी एड़ियों पर पीपल के पत्ते से दूध निकालकर लगाने से कुछ ही दिनों फटी एड़ियां सामान्य हो जाती हैं और तालु नरम पड़ जाते हैं।
घावों को भरे
पीपल के ताजे पत्तों को गर्म करके घावों पर लेप किया जाए तो घाव जल्द सूख जाते हैं। अधिक गहरा घाव होने पर ताजी पत्तियों को गर्म करके थोडा ठंडा होने पर इन पत्तियों को घाव में भर देने से कुछ दिनों में घाव भर जाते हैं।
जुकाम होने पर
पीपल के कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर उसे अच्छे से पीस लीजिए, इसे आधा लीटर पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर काढ़ा बना लें। काढ़े में पीसी हुई मिश्री मिलाकर कुनकुना करके पीने से नजला-जुकाम से राहत मिलती है।
नकसीर होने पर
नकसीर की समस्या होने पर पीपल के ताजे पत्तों का रस नाक में टपकायें, इससे नकसीर की समस्या से आराम मिलता है।
पेट की समस्या के लिए
इसे पित्त नाशक माना जाता है, यानी यह पेट की समस्या जैसे - गैस और कब्ज से राहत दिलाता है। पित्त बढ़ने के कारण पेट में गैस और कब्ज होने लगता है। ऐसे में इसके ताजे पत्तों के रस एक चम्मच सुबह-शाम लेने से पित्त का नाश होता है।