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इंसान ने जिस भी सुंदर और अनोखी चीज को देखा,उसने चाहा कि वो उसकी हो जाए.उसने जंगल में दौड़ते घोड़े देखे तो उन्हें पकड़ लिया,उनके नाक में रस्सी डाल के उन्हें गुलाम बना लिया,उसने जंगल में भेड़ियों से लड़ते कुत्ते देखे तो भेड़ियों से अपनी रक्षा के लिए कुत्ता पाल लिया.उसने सुंदर तितलियां देखीं,रंग बिरंगे पक्षी देखे,पानी में तैरता कछुआ देखा,पेड़ देखे,मिट्टी देखी,धरती में गड़ा सोना देखा और उसने हर चीज को अपने लिए उपयोगी बना लिया.प्रकृति ने जो कुछ भी जीवन और उसके संतुलन के लिए बनाया इंसान ने उसे खुद का विरासत समझा और उसपर कब्जा कर लिया.हर वो चीज जो स्वतंत्र होनी चाहिए थी,इंसान की हो गई.इसका दीर्घकालिक असर हुआ,इंसान ये भूल गए कि उन्हें सिर्फ सर्वाइव नहीं करना था,उन्हें इंवॉल्व होना था,विकसित होना था.दो पैर,दो हाथ लिए धरती पर जन्मा इंसान लाखों सालों से वैसा ही रह गया,इसके विपरीत कुछ जानवर,पेड़ पौधे इंवॉल्व होते गए,खुद को आने वाले समय के हिसाब से बदलते गए.नतीजा ये कि कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा,कोई बड़ा पारिस्थितिकीय बदलाव इंसान सह नहीं सकता.वो पानी में नहीं रह सकता,हवा में नहीं उड़ सकता,बिना खाए पिए ज्यादा दिन जिंदा नहीं सकता.इंसान एक मात्र ऐसी प्रजाति है जो वक्त के साथ और कमजोर होती गई है,कारण सिर्फ दो अतिनिर्भरता और सर्वाइवल स्किल की कमी.हमें अब भी सीखना चाहिए,सम्हलना चाहिए वर्ना ये प्रजाति प्रकृति के किसी काम नहीं रहेगी और उसके द्वारा ही मिटा दी जाएगी.....!!

स्कन्द पाण्डेय

आदरणीय Skand Pandey जी के पटल से साभार #copy-paste