
अकबर को महान बताने के लिए वामपंथी इतिहासकारों ने अकबर के जिंदगी की सबसे क्रूर अध्याय यानी गुजरात के ध्रोल में हुआ भूचर मोरी की लड़ाई पूरी तरह से गायब कर दिया
मित्रों आप लोग गूगल पर द बैटल आफ भूचर मोरी सर्च करिए आपको अकबर के क्रूरता की पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी
दरअसल मुगलों में सत्ता को लेकर आपस में खूब लड़ाई चलती थी.. कहीं भाई भाई को मारता था कहीं बेटा बाप को मार देता था कहीं बाप बेटे को मार देता था
सन 1580 में गुजरात सल्तनत यानी अहमदाबाद का बादशाह मुजफ्फर शाह तृतीय था अकबर ने उस पर हमला कर के अहमदाबाद पर कब्जा किया और मुजफ्फर शाह तृतीय को आगरा में कैद कर दिया
लेकिन 1583 में मुजफ्फर शाह अकबर की कैद से भाग निकला और गुजरात में जगह-जगह छुपता रहा और अंत में मुजफ्फर शाह ने जामनगर (उस समय नवा नगर) के महाराजा जाम साहब के यहां शरण ले लिया फिर 1589 में अकबर ने अपने पालक भाई को गुजरात भेजा लेकिन नवानगर के राजा जाम सता जी ने शरणगति का हिंदू धर्म में महत्व बताकर शरण में आए मुजफ्फर शाह को अकबर को सौंपने से इंकार कर दिया
यह बात अकबर को पसंद नहीं आई और उसने अपनी सेना लेकर नवानगर यानी जामनगर पर हमला कर दिया यह लड़ाई कुल 9 घंटे चली थी जिसमें 30000 सैनिक शहीद हुए थे अकबर को अपनी हार माननी पड़ी थी और अकबर वापस चला गया
और फिर कभी भी अकबर ही नहीं बल्कि हर एक मुगल बादशाह ने कभी जामनगर राजकोट तथा भावनगर और गोंडल रियासत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं किया