देखिए ध्यान से आतंकवादीयो से बरामद सामानों को क्या आतंकी ये सभी सामान बार्डर पार से लाये है..??
नहीं ये वही लोग इनको मुहैया कराये है जो 1990 में काश्मीरी हिन्दूओं को रात के समय मारते थे और दिन होते ही साथ खड़े होने का दिखावा दुनिया को करते थे ठीक वैसे ही जैसे पहलगाम में हुआ भ्रम में ना रहे किसी की ये कभी हमारे हो सकते हैं इन्हें टुरिज्जम का खतरा दिख रहा है और आर्मी का ग़ुस्सा इसी खौफ से हमारे साथ खड़े होने का नाटक कर रहे हैं फिर मौका मीलते ही अपना ये रंग दिखा देंगे इसी भ्रम में पाकिस्तान और बांग्लादेश से हिंदू खत्म हुए
मैं पुनः दोहरा दूँ.... कश्मीरी पर्यटकों के मारे जाने से सिर्फ इसलिए गमजदा हैं क्योंकि अब उनकी रोजी रोटी छिन गई है... पर्यटकों पर पहली बार हमला हुआ है... और अब कश्मीर का पर्यटन उद्योग कम से कम तीन साल तक बर्बाद हो गया है... सिर्फ इस उद्योग को बचाने के लिए मोमबत्तियाँ जलाई जा रही हैं... दुख जताया जा रहा है... अगर इन्हें इंसानों के मरने का दुख होता तो जब जब कश्मीर में तीर्थ यात्री मारे गए.. उनके लिए कैंडल मार्च क्यों नहीं निकाला गया... कश्मीरी पंडितों को वापस लाने के लिए कैंडल मार्च क्यों नही निकाला जा रहा ? यहाँ सिर्फ रोजी रोटी का सवाल है... इंसानियत गई तेल लेने...!
#अगर सच में कश्मीरियों को इंसानियत की चिंता है तो तुरंत कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए धरना प्रदर्शन करें... कैंडल मार्च निकालें... इससे पर्यटकों का भरोसा भी बढ़ेगा.. और कश्मीर फिर से पर्यटकों से गुलजार होगा और पाकिस्तानी आतंकवाद को करारा जवाब भी मिलेगा....!
#याद रखिए.. कश्मीरियों के लिए पर्यटक ना हिंदू होता है ना मुसलमान.. वो सिर्फ उनकी रोजी रोटी का मुख्य साधन है.. इसलिए देवता तुल्य है... चूँकि कश्मीर में पर्यटकों पर पहली बार हमला हुआ है... पहली बार.. और कश्मीरी मुसलमान भी पहली बार हमले के विरोध में एक हुआ है.. पहली बार...! पर्यटकों के लिए अपनी जान दाँव पर लगाने वाले ...इंसानियत के लिए जान दाँव पर लगाने लगें.. तो कश्मीर फिर से स्वर्ग बन जाएगा... ना कि वहाँ हिंदू स्वर्गवासी...!
#pahalgamattack
