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साभार.....
स्वरा भास्कर की बुझी हुईं शकल सूरत पर तंज करके,उसकी बुर्के में ढंकी तस्वीरें दिखा कर आप सोचते होंगे कि आप नई जेनरेशन की लड़कियों को इस्लाम की वीभत्स सच्चाई,इसके क्रूर परिणाम दिखा लेंगे... उन्हें उधर जाने से रोक लेंगे...
लेकिन शायद आप एक इंडॉक्ट्रिनेटेटिड माइंड की अवस्था को नहीं समझ रहे. वामपंथ की जकड़ में बंधे मस्तिष्क के कनेक्शंस को नहीं पढ़ पा रहे.

इन तस्वीरों में स्वरा एक विक्टिम दिखाई देती है..पर यह विक्टिमहुड उसने खुद चुना है.वह इसको दुनिया के सामने दिखा रही है,उसकी प्रदर्शनी कर रही है. और एक भी वामी फेमिनिस्ट लड़की इसके लिए उसके चॉइसेस को दोष नहीं देगी.बल्कि वह और आकर्षित होगी कि जरूर इस्लाम में कोई खास बात होगी.. स्वरा को इस गुलामी से,इस नरक से कुछ तो मिला होगा कि उसने हंसती खेलती आजादी को छोड़कर इसको खुद चुना.

स्वतंत्रता एक सुंदरतम अवस्था है.. लेकिन हर किसी को इसका वही मूल्य नहीं दिखाई देता. मनुष्य की सारी उपलब्धियां,सभ्यता की सारी प्रगति मानव स्वतंत्रता की देन है. लेकिन यह एसोसिएशन सबको स्वतः दिखाई नहीं देता. सबसे पहले,सबसे आसानी से हम अपनी इस सबसे बड़ी सम्पदा को सरेंडर करने को तैयार हो जाते हैं.और जो पहले से ही वामपंथी है,जिसने एक बार अपनी स्वतंत्रता को सरेंडर कर दिया उसे एक जेल से निकल कर दूसरी जेल में जाने में क्या समस्या हो सकती है?