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Anonymous
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उस मुख्यमंत्री से इस्तीफ़ा माँगा जा रहा है जिसने छह महीने से महाकुंभ की तैयारी में अपना सब कुछ लगा दिया ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जिसने सनातन धर्म के उत्थान के लिए सब कुछ दाँव पर लगा दिया ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जिसने सनातन धर्म की वैदिक संस्कृति , अस्मिता , अखंडता , वैभव , गौरव को विश्व पटल पर चमत्कृत कर दिया ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफ़ा माँगा जा रहा है जिसने अयोध्या को उसके गौरवशाली वैभव को पुनः स्थापित किया ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जिसने बड़े बड़े तीर्थों को उसका गौरवशाली प्रभुत्व पुनः लौटाकर दिया है ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जिसने उत्तरप्रदेश का गौरव पुनः विश्व में प्रतिष्ठापित किया है जो कि गुंडों माफियाओं का प्रदेश कहलाता था , जिसके लोग up के भैया के नाम से कुख्यात थे , जिनके कहीं भी जाने पर लोग घरों में ताला लगा दिया करते थे कि चोर उचक्के , भिखमंगे आ गए ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जिसने सन्तों महापुरुषों , साधुओं और सनातन धर्म के प्रचारकों को फिर से पुनर्जीवित किया ।
अन्यथा ये लोग कहाँ थे , किसी को पता नहीं था ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है , जिसने उत्तरप्रदेश को हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थक्षेत्र घोषित करवा दिया । वृन्दावन , मथुरा , काशी , अयोध्या , सम्भल से लेकर अन्य छोटे बड़े तीर्थों को पुनः जागृत अवस्था में लाकर उनकी प्रतिष्ठा को जागृत किया ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जिसके राज में तिलक , कंठी और धोती कुर्ता पहनने में लोग गर्व का अनुभव करते हैं ।
नहीं तो यही आज के 15 वर्ष पीछे जाकर देख लो , तिलक लगाने में लोग शर्मिंदगी का अनुभव करते थे ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जिसने तीर्थस्थलों की महिमा बढ़ाकर , उससे उत्तर प्रदेश के करोड़ों लोगों को रोजगार प्रदान किया । कुम्हारों से लेकर बड़े बड़े कुटीर उद्योगों को शीर्ष पर ला दिया ।
आज कुम्भ से ही कितने लोग लाल काल हो गए । लाखों लोगों का जीवन और आर्थिक स्थिति सुधर गयी अन्यथा उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि जीवनयापन कैसे किया जाय ।

उस मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा जा रहा है जो तीर्थयात्रियों और कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा करता है न कि गोली से भूनकर और लाठियों से मारकर उनकी पिल्लूद्दी बनाता है ।

सबसे अधिक विरोध करने वाले इस व्यक्ति के वह ब्राह्मण हैं, जो आज के 15 वर्ष पूर्व शिखा , जनेऊ और तिलक लगाने से डरते थे । आज यह जितने शिखा लगाकर घूम रहे हैं , जरा 15 वर्ष पूर्व चले जाएं , इनकी चोटी नहीं मिलती ।

यह वह लोग हैं , नए नए अंडोले , जो 15 वर्ष पूर्व अंडो से बाहर नहीं निकले थे , उस समय पढ़ रहे थे । आज इनकी आयु 22 से 35 वर्ष के बीच होगी ।
इनको नहीं पता कि उस समय क्या स्थिति थी ।
आज चोटी रखकर स्वयं को उपमन्यु का अवतार मानकर यह जगह जगह विरोध कर रहे हैं ।

ये हिन्दू क्यों ग़ुलाम रहा सदियों से ???

जो इसको उठाता है , यह उसी का विरोध करते हैं और उसी के जड़ में मट्ठा डालने का काम करते हैं । ये सैकड़ों वर्षों से ऐसे गुलाम नहीं रहे , अरे गुलाम वंश तक ने इन गधों पर राज किया है , इनकी इसी वृत्ति के कारण ।
ये इस मुख्यमंत्री का विरोध कर किसको लाना चाहते हैं ?? यदमुल्लों को ?
धुर सनातन विरोधी कांग्रेसियों को ??

आज जो बड़ा सनातन धर्म की दुहाई दे रहे हैं , उनसे जाकर पूछो कि हे हिंदुओं के सबसे बड़े लम्बरदार , तब तुम कहाँ थे जब पालघर में साधुओं की नृसंश हत्या कर दी गयी थी , तब तुमने क्यों नहीं मांगा इस्तीफा ??? और जाकर उसको आशीर्वाद दे रहे थे ??

तब क्यों नहीं माँगा इस्तीफा जब तुम्हारे ही छाती पर बैठकर हज House खोला जा रहा था ??

तब कहाँ थे तुम और तुम्हारी सेना जब वक़्फ़ बोर्ड बन रहा था सनातन धर्म को समूल नष्ट करने के लिए ???
तब कहाँ थी तुम्हारी पदवी ??
तब कहाँ थे जब हम अपने आराध्य को टेंट में देखते थे ?
तब क्यों नहीं मांगते थे इस्तीफा ??
तब कहाँ था आपका 100kg चांदी का सिंहासन जब हर जगह हिन्दू मार मार कर भगाए जाते थे और दंगों में हज़ारों हिंदुओं की नृसंश हत्याएं होती थी ??
तब कहाँ थे जब सनातन धर्म के ग्रंथों को जलाया जाता था , रामचरितमानस पर अभद्र अमर्यादित टिप्पणियां की जाती थी ?
तब कहां थे जब यदमुल्लों के गुंडों से जनता त्राहिमाम कर रही थी और लड़कियों का घर से बाहर तक निकलना दूभर था ??
तब कहाँ थे जब असंख्य दंगे होकर हिंदुओं को समाप्त कर दिया जाता था ?
तब कहाँ थे जब आपकी नाक के नीचे मुस्लिम personal Law board बना ??
तब कहाँ थे जब हमारे शास्त्रों के अर्थ का अनर्थ कर इसे क्षतिग्रस्त किया गया ??

आप बोल रहे हैं कि मेरी संवेदना है मरने वालों से , वह मेरे अपने हैं ।

अपने हैं तो , हे हिन्दू धर्म के ध्वज रक्षक । अपनी 100 kg चांदी का सिंहासन नीलाम करो और उन मरने वालों की सहायता के लिए धनराशि इकट्ठी करो । चांदी के सिंहासन पर नहीं बैठोगे तो क्या शंकराचार्य नहीं कहलाओगे ? नीलाम करो अपना रजत सिंहासन और लुटा दो अपने जनों के लिए ।
अभी तक चांदी से आसक्ति तो गयी नहीं ,पद से तो आसक्ति गयी नहीं , और सन्यासी कहने के लिए सब मार करेंगे ।

पुरीपीठाधीश्वर की तरह करो जरा ।

बोलने के लिए बड़ी बड़ी बातें सब मार करेंगे ।

जो व्यक्ति एक वर्ष से नियमित तुम्हारे लिए planning से लेकर execution तक महोत्सव को भव्य बनाने के लिए लगा रहा , इतना भव्य आयोजन कि पूरा विश्व आश्चर्यचकित हो गया , तुम उसी की जड़ खोदने पर तुले हो ??

उसने दिन देखा न रात देखा , हर हिन्दू त्योहार को भव्य बनाने के लिए जो दिन रात से लेकर जिसने मोदी तक की परवाह नहीं की , उसी को गाली देने को तैयार हो ??
उस को देखो 1 वर्ष से तैयारियों में लगा है और तुम एक दिन आकर उस पर आक्षेप करना शुरू कर देते हो , फूफा का role निभाते हो ।

धिक्कार है तुम्हारे हिन्दू होने पर । जो तुम्हारे वैभवशाली और गौरवशाली संस्कृति को भव्य बना रहा है , तुम उसी की जड़ खोदने पर लगे हो ??

क्या योगी जी ने भगदड़ करवाई ?? वहाँ जा जाकर लोगों को मारा ??

अरे निरंकुश तो तुम जैसे लोग हो जो भीड़ बनकर जाते हो बिना किसी preparation के ।।
भीड़ के बुद्धि और विवेक नहीं होता । वह निरंकुश होती है । चलने का तुम्हें शऊर नहीं , हर जगह गंदगी तुम मचाते हो , changing room में मल मूत्र तुम कर रहे हो , लड़ तुम लोग रहे हो , नियम का पालन करने में तुम्हारी नानी मर जाती है , एक भी नियम तुम लोग पालन करना नहीं जानते , पशुवत होकर हर जगह रहना चाहते हो , विधि निषेध का पालन नहीं करोगे , और जब उससे अव्यवस्था फैलती है तो दोषारोपण स्वयं पर न करके तुम उस पर करते हो जिसने तुम्हारे लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया ??

भगदड़ हुई , किसके कारण हुई ? तुम्हीं लोग थे न भगदड़ मचाने वाले ?
बहुत लोग मारे गए उस भगदड़ में ।

उस व्यक्ति ने कितना बड़ा विवेक दिखाया कि उस समय जो उचित था उसने किया , ताकि अन्य जगह भगदड़ न मचे । लोग भयाक्रांत न हों ।
अन्यथा जितने लोग आए थे , वह तीर्थ का लाभ ही न ले पाते ।

तुम्हारे घर में विवाह पड़ता है , अगर घर में कोई चीज़ खो जाती है या कुछ अनहोनी हो जाती है , तो तुम क्या करते हो , विवाह पूरी तरह निबटाते हो ताकि जो अन्य लोग आए हैं , उनको कोई परेशानी न हो ।
फिर बाद में उस लड़ाई झगड़े को सुलटाते हो ।

यही किया योगी जी ने । और यही एक विवेकशील राजा का दायित्व बनता है कि प्रजा में भय न व्याप्त हो किसी को लेकर ।
क्योंकि अगर और भी चीजें हो जाती तो यह हादसा बढ़ता ही जाता ।
अरे उसने पूरे उत्तरप्रदेश की पोलिस झोंक दी है तुम्हारी सुरक्षा के लिए ।

अभी एक जगह और देख रहा था कि trains में भीड़ बहुत है , यहाँ तक कि AC कोच में भी ।
अब लोग कह रहे हैं कि योगी मोदी को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि ट्रैन में जिसने 3000 का reservation कराया , वह भी general वालों की तरह जा रहा है । लोग gate तक नहीं खोल रहे हैं ।

क्या योगी जी ने seat भरी ? क्या तुम लोगों के ettiquete नहीं बनता कि AC COACH में नहीं बढ़ना चाहिए ?
क्या योगी मोदी ने आकर GATE बन्द किया TRAIN के ??
एक जगह देखा कि लोग TTE को पीट रहे थे कि उनको क्यों AC COACH से निकाला जा रहा है ।

अरे ! पहले स्वयं को सभ्य बनाओ , दूसरों पर दोषारोपण करते करते जीवन बीत जाएगा और etiquettes कभी नहीं आ पायेंगे ।

एक ट्रेन में AC coach का दरवाजा नहीं खोला जा रहा था, उस पर लोग गालियाँ दे रहे थे कि योगी मोदी इस्तीफा दो , इस समय सबको चढ़ने देना चाहिए ।

अब दोनों घटनाओं पर निगाह डालें , वह करो तब भी गाली , यह करो तब भी गाली ।

तो हे हिंदुओं । थोड़ा विवेक से काम लो ।
जो तुम्हारे हितार्थ कार्य कर रहा है , उसको उन्मुक्त हृदय से समर्थन करो ।
अन्यथा फिर कभी कोई भी हित के लिए नहीं खड़ा होगा । अरे उसका सम्मान करो जो तुम्हारे लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर तुम्हें तुम्हारी अस्मिता की रक्षा कर रहा है ।
यह ध्यान रखो , वह अगर हार गया तो भविष्य में कभी कोई हिंदूवादी नेतृत्व या व्यक्ति तुम्हारे लिए कभी खड़ा नहीं होगा , क्योंकि तुम उसके लिए कभी खड़े नहीं हुए ।

इसलिए सबसे निवेदन है कि यह समय है चट्टान की तरह अपने रक्षक के साथ खड़े रहो , क्योंकि यह रक्षक चला गया तो फिर सदियों में भी तुम जैसे नमक हरामों के लिए कोई पुनः नहीं खड़ा होगा ।

इस पोस्ट को जितना अधिक share करना हो तो करिये , जागृति अत्यंत आवश्यक है ।

पहचानों कौन अपना है और कौन पराया । जो यदमुल्लों को अपना आशीर्वाद दे रहा है , उसको कैसे अपना मान सकते हो ???

उत्तिष्ठत उत्तिष्ठत उत्तिष्ठत ।।

यह समय चूक गए तो फिर कभी पुनः यह समय नहीं आएगा ।
कस कर हाथ पकड़ लो । ( श्वेताभ पाठक )