साभार...आश्चर्य अयोध्या जी की सीट पर, एक चीज तय है कि विकास के नाम पर वोट नहीं मिलता है क्योंकि दस साल में सर्वाधिक विकास इसी स्थान पर हुआ है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, इकोनॉमी, बिजनिस, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोड्स से लेकर विकास के तमाम पैमाने इस शहर में आसमान से उतर आए थे। मैं विकास में राममंदिर निर्माण को तो गिन ही नहीं रहा हूँ। फिर भी विकास से वोट नहीं मिला।

हिन्दुत्व के नाम पर भी वोट नहीं मिलता, क्योंकि जिस शहर में धर्म की 500 वर्ष बाद जय हो और राष्ट्र का भव्यतम मंदिर बने, उसके उपरांत भी वोट नहीं मिला। वह पार्टी यहाँ 50 हज़ार वोट से जीत रही है जो इसी शहर में रक्त की नदियां बहाने को कुख्यात रही है, जिसने राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा को मजाक बनाया, वहाँ जाने से भी मना कर दिया।

वोट केवल जाति देख कर ही दिया जाता है। यह अयोध्या सीट का हासिल परिणाम है। यदि कोई नाराजगी किसी से थी तो घर में सुलझाते, हत्यारे की गोद में जाकर बैठना कौन सी नाराजगी है। मथुरा और काशी मांगने जैसा यहाँ के लोगों ने किसी को छोड़ा नहीं है, इसके बीज लाखों वर्ष पुराने उत्तरकाण्ड में भी मिलते हैं।