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कल यूट्यूब पर एक पाकिस्तानी लड़के तथा साथ में अफगानिस्तान के इतिहासकार कि कंधार यात्रा देख रहा था।
गजनी शहर गये, जँहा मुहम्मद गजनी का कभी महल था।
वह महल ऐसा था कि एक पक्के ईंट कि भी दीवार न थी।
मिट्टी के मकान जो लगभग ढह चुके थे। उस समय भारत में कोई दरिद्र भी ऐसे घरों में नहीं रह सकता था।
कुछ पक्के ईंटो कि जेल थी।
ऐसा लगता है कि बाद में लगाया गया था।
अफगानिस्तान के इतिहासकार ने बताया कि, उस समय ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान में ऐसे कच्चे मिट्टी के महल थे। जिसमें कुछ जगह पक्की ईंट लगाई गई थी।

भारत आते ही ये सब इतने बड़े आर्टीकेट बन गये।
धन , कारीगर, कलाकृति , नक्शा सब भारत का, बनाये थे मुगल, ताजिक , गजनी।

हमारे यहाँ के वामी इतिहासकार कभी इसकी जहमत नहीं उठाये, मूल स्थानों को देखे क्या है।
खान मार्केट में सुट्टा लगाते, बाये हाथ से कमरे में बैठकर इतिहास लिख दिये।

ये है गजनी के महल है।
हमारे यहाँ उस जमाने मे भैंस भी ऐसे महलों नहीं बांधी जाती होंगी।

कहने वाले तो कह गए की इस महल को जिसने बनाया था उसीआर्टीटेक्ट ने लालकिला भी बनाया है...\ud83d\ude44
साभार

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